जब अयोध्या में कार सेवकों पर गोलियां चली। अयोध्या गोलीकांड
तारीख थी 30 अक्टूबर 1990 जब अयोध्या में कार सेवकों पर गोलियां चली। उत्तरप्रदेश में पद्म विभूषण मुलायम यादव के आदेश पे रामभक्तों की नृशंस हत्या हुई। बोरियों में लाशें भरी गयी। निहत्थे रामभक्तों को घेर कर घण्टो फायरिंग की गयी । आइये जानते हैं विस्तार में क्या हुआ था । ⚡पुलिस और सुरक्षा बल न खुद घायलों को उठा रहे थे और न किसी दूसरे को उनकी मदद करने दे रहे थे। ⚡फायरिंग का लिखित आदेश नहीं था। फायरिंग के बाद जिला मजिस्ट्रेट से ऑर्डर पर साइन कराया गया। ⚡ किसी भी रामभक्त के पैर में गोली नहीं मारी गई। सबके सिर और सीने में गोली लगी। ⚡ तुलसी चौराहा खून से रंग गया। दिगंबर अखाड़े के बाहर कोठारी बंधुओं को खींचकर गोली मारी गई। ⚡ राम अचल गुप्ता का अखंड रामधुन बंद नहीं हो रहा था, उन्हें पीछे से गोली मारी गई। ⚡फायरिंग के बाद सड़कों और गलियों में पड़े रामभक्तों के शव बोरियों में भरकर ले जाए गए। ⚡मुन्नन खां, उस्मान और भुल्लर का कारसेवकों के नरसंहार में क्या था रोल? ⚡प्राइवेट गैंग ले कर किया था नरसंहार ⚡असली पुलिस मारी या नकली, हमें नहीं पता ⚡अयोध्या क्यों नहीं चल रहे, वहाँ फल मिलेगा’ ⚡नकली PAC की पूरी बट